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नवरात्रि पर बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री का बयान: “गरबा परंपरा है, मजाक न बने”

नई दिल्ली: नवरात्रि के दौरान गरबा और डांडिया की धूम पूरे देश में चरम पर है, लेकिन इसी बीच बागेश्वर धाम सरकार के प्रमुख पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने आयोजनों में पहनी जाने वाली अशोभनीय पोशाकों और बढ़ती दिखावटी संस्कृति पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि गरबा भारतीय परंपरा और मां दुर्गा की उपासना का हिस्सा है, लेकिन कम कपड़े पहनकर, सिर्फ रील्स और फोटो के लिए गरबा खेलना धार्मिक आस्था का अपमान है।

“गरबा हो, पर देवी का मजाक न बने”

धीरेन्द्र शास्त्री ने अपील की कि गरबा पंडालों में केवल वही लोग प्रवेश करें जिनकी पोशाकें पूरी और गरिमा के अनुरूप हों। उन्होंने कहा:

  • “गरबा जरूर हो, लेकिन हमारी भारतीय परंपरा का मजाक न बने।”
  • “गलत दृष्टिकोण और फैशन के नाम पर देवी की उपासना का पुण्य किसी को नहीं मिलेगा।”

“अन्य मजहब के लोग हमारे धार्मिक उत्सवों में शामिल न हों”

उन्होंने अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा कि गरबा पंडालों में गैर-हिंदुओं को प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। उनके इस बयान के बाद कई जगह बैनर भी लगाए गए हैं। धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा:

  • “जब हम दूसरे मजहब के आयोजनों में शामिल नहीं होते, तो उन्हें भी हमारे धार्मिक आयोजनों में नहीं आना चाहिए।”

“नवरात्र के बाद दारू और मांस, यही विडंबना”

बागेश्वर बाबा ने सनातनियों को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि नवरात्रि में नौ दिन देवी की पूजा करने के बाद कई लोग दसवें दिन शराब और मांस का सेवन करते हैं। उन्होंने कहा कि यही सबसे बड़ी विडंबना है और यही आस्था के साथ खिलवाड़ है।

हिंदू राष्ट्र पर फिर उठाई मांग

धीरेन्द्र शास्त्री ने एक बार फिर भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा:

  • “भारत से दुश्मनी और मतभेद मिटाकर आपसी भाईचारा बढ़ाना चाहिए।”
  • “असल में भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है, लेकिन इस विचार को हर किसी के दिल तक पहुंचाना जरूरी है।”

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