इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल मस्जिद मामले में मस्जिद कमेटी को झटका, याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जिले में तालाब और सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद के मामले में मस्जिद कमेटी को झटका दिया है। कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वे अपनी अपील ट्रायल कोर्ट में दाखिल करें।
सिंगल बेंच ने अर्जेंट सुनवाई की
अर्जेंट बेंच में जस्टिस दिनेश पाठक की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की। मस्जिद शरीफ गोसुलबारा रावां बुजुर्ग और उनके मुतवल्ली मिंजर की ओर से दाखिल याचिका में ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
मस्जिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक श्री त्रिपाठी ने पक्ष रखा। याचिका में दावा किया गया कि बिना ध्वस्तीकरण आदेश के प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी।
संभल प्रशासन ने 2 अक्टूबर को बुल्डोजर कार्रवाई शुरू की
2 अक्टूबर को गांधी जयंती और दशहरा के दिन संभल प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई की, जिसमें बारात घर को तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण मानते हुए ध्वस्त किया गया।
मस्जिद का भी कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर होने का दावा किया गया। मस्जिद कमेटी ने खुद अवैध हिस्से को हथौड़े से तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की थी। याचिका में दलील दी गई कि बुलडोजर कार्रवाई के दौरान भीड़ जमा होने से हादसा या बवाल हो सकता था, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज किया।
कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज की
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया। राज्य सरकार की ओर से चीफ स्टैंडिंग काउंसिल जे एन मौर्या और स्टैंडिंग काउंसिल आशीष मोहन श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि जमीन सरकारी और तालाब की है, जहां अवैध निर्माण हुआ है।हाईकोर्ट ने मस्जिद पक्ष को ट्रायल कोर्ट में अपील करने का निर्देश दिया और अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया।
पक्षकार और आरोप
मस्जिद कमेटी ने याचिका में प्रदेश सरकार, डीएम संभल, एसपी संभल, एडीएम, तहसीलदार और ग्राम सभा को पक्षकार बनाया।
- मस्जिद कमेटी का आरोप: बिना उचित नोटिस ध्वस्तीकरण शुरू किया गया।
- प्रशासन का कहना: कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई।
हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार करते हुए निचली अदालत को आगे की कार्रवाई का निर्देश दिया।