बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण: 68.66 लाख नाम हटाए गए

पटना, अक्टूबर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में शुद्धीकरण के लिए किए गए विशेष पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) में कुल 68.66 लाख नाम बाहर किए गए। इसमें मसौदा सूची से 65 लाख नाम हटाए गए थे, जबकि फाइनल सूची में 3.66 लाख मतदाताओं को अयोग्य करार दिया गया।
चुनाव आयोग की प्रक्रिया
चुनाव आयोग के मुताबिक, सिर्फ वैध दस्तावेजों के आधार पर ही नागरिक को मतदाता सूची में शामिल किया जा सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी के अनुसार, सिर्फ भारतीय नागरिक ही मतदान का अधिकार रखते हैं। आयोग दस्तावेजों के आधार पर योग्यता और अयोग्यता की जांच करता है।
एसआईआर की शुरुआत और मसौदा सूची
बिहार में एसआईआर प्रक्रिया 24 जून 2025 को शुरू हुई। 30 जून को आयोग ने स्पष्ट किया कि 2003 के बाद पंजीकृत लगभग 4.96 करोड़ मतदाताओं में से कई को कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- 1 अगस्त: मसौदा सूची जारी, 65 लाख नाम हटाए गए।
- 22 लाख मृत
- 35 लाख स्थायी रूप से पलायन या पता नहीं मिला
- 7 लाख दो जगह पंजीकृत
- 30 सितंबर: फाइनल वोटर लिस्ट जारी, कुल मतदाता संख्या 7.42 करोड़, यानी जून की संख्या 7.89 करोड़ से लगभग 6% कम।
हटाए गए मतदाताओं का विवरण
फाइनल सूची से हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं में शामिल हैं:
- 2 लाख प्रवास के कारण
- 60,000 मृत्युदर से
- 80,000 डुप्लीकेसी (दो जगह पंजीकरण)
- शेष 1.66 लाख की दस्तावेजों की सघन जांच जारी
इसके अलावा, नए मतदाताओं के रूप में 21.53 लाख फॉर्म-6 के तहत नाम जोड़े गए।
एसआईआर का उद्देश्य
चुनाव आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 और आदर्श वाक्य “कोई भी पात्र मतदाता छूटने न पाए और कोई भी अपात्र व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न हो” के अनुरूप की गई।
एसआईआर के दौरान नागरिक पहली अपील जिला मजिस्ट्रेट और दूसरी अपील मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष दायर कर सकते हैं।
भविष्य में देशभर में लागू होने की संभावना
बिहार के अनुभव के आधार पर, चुनाव आयोग एसआईआर को देश के अन्य हिस्सों में लागू करने पर विचार कर रहा है। 10 सितंबर को राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की बैठक में बिहार के अनुभव और दस्तावेज़ सूची पर प्रतिक्रिया मांगी गई।हालांकि फिलहाल कोई देशव्यापी एसआईआर कार्यक्रम की घोषणा नहीं हुई है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में शुद्धीकरण के लिए किए गए विशेष पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) में कुल 68.66 लाख नाम बाहर किए गए। इसमें मसौदा सूची से 65 लाख नाम हटाए गए थे, जबकि फाइनल सूची में 3.66 लाख मतदाताओं को अयोग्य करार दिया गया।
चुनाव आयोग की प्रक्रिया
चुनाव आयोग के मुताबिक, सिर्फ वैध दस्तावेजों के आधार पर ही नागरिक को मतदाता सूची में शामिल किया जा सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी के अनुसार, सिर्फ भारतीय नागरिक ही मतदान का अधिकार रखते हैं। आयोग दस्तावेजों के आधार पर योग्यता और अयोग्यता की जांच करता है।
एसआईआर की शुरुआत और मसौदा सूची
बिहार में एसआईआर प्रक्रिया 24 जून 2025 को शुरू हुई। 30 जून को आयोग ने स्पष्ट किया कि 2003 के बाद पंजीकृत लगभग 4.96 करोड़ मतदाताओं में से कई को कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- 1 अगस्त: मसौदा सूची जारी, 65 लाख नाम हटाए गए।
- 22 लाख मृत
- 35 लाख स्थायी रूप से पलायन या पता नहीं मिला
- 7 लाख दो जगह पंजीकृत
- 30 सितंबर: फाइनल वोटर लिस्ट जारी, कुल मतदाता संख्या 7.42 करोड़, यानी जून की संख्या 7.89 करोड़ से लगभग 6% कम।
हटाए गए मतदाताओं का विवरण
फाइनल सूची से हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं में शामिल हैं:
- 2 लाख प्रवास के कारण
- 60,000 मृत्युदर से
- 80,000 डुप्लीकेसी (दो जगह पंजीकरण)
- शेष 1.66 लाख की दस्तावेजों की सघन जांच जारी
इसके अलावा, नए मतदाताओं के रूप में 21.53 लाख फॉर्म-6 के तहत नाम जोड़े गए।
एसआईआर का उद्देश्य
चुनाव आयोग ने कहा कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 और आदर्श वाक्य “कोई भी पात्र मतदाता छूटने न पाए और कोई भी अपात्र व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न हो” के अनुरूप की गई।
एसआईआर के दौरान नागरिक पहली अपील जिला मजिस्ट्रेट और दूसरी अपील मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष दायर कर सकते हैं।
भविष्य में देशभर में लागू होने की संभावना
बिहार के अनुभव के आधार पर, चुनाव आयोग एसआईआर को देश के अन्य हिस्सों में लागू करने पर विचार कर रहा है। 10 सितंबर को राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की बैठक में बिहार के अनुभव और दस्तावेज़ सूची पर प्रतिक्रिया मांगी गई।हालांकि फिलहाल कोई देशव्यापी एसआईआर कार्यक्रम की घोषणा नहीं हुई है।