अब आखिरी दौर में नक्सलवाद! मोदी सरकार का दावा – 2014 के 182 से घटकर अब सिर्फ 11 जिले प्रभावित

नई दिल्ली। भारत में दशकों तक आंतरिक सुरक्षा के सबसे बड़े ख़तरों में शुमार नक्सलवाद अब अपने आखिरी चरण में है। केंद्र सरकार ने दावा किया है कि नक्सलियों की कमर तोड़ दी गई है और बहुत जल्द “रेड कॉरिडोर” पूरी तरह इतिहास बन जाएगा। गृह मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, अब सिर्फ 11 जिले नक्सल प्रभावित रह गए हैं, जबकि 2014 से पहले इनकी संख्या 182 थी।
75 घंटे में 303 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 75 घंटे के भीतर 303 नक्सलियों ने हथियार डाले हैं। सरकार का दावा है कि यह इस बात का सबूत है कि अब नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है।
गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि
“31 मार्च 2026 तक देश से रेड कॉरिडोर पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।”
नक्सलवाद की गिरती ताकत – आंकड़ों में बदलाव
पैरामीटर | 2014 से पहले | 2025 तक | गिरावट (%) |
---|---|---|---|
प्रभावित जिले | 182 | 11 | 🔽 ~94% |
हिंसक घटनाएं (2004-14 बनाम 2014-25) | 16,463 | 7,744 | 🔽 53% |
सुरक्षाबलों की शहादत | 1,851 | 509 | 🔽 73% |
नक्सली क्षेत्र (वर्ग किमी) | 18,000+ | 4,200 | 🔽 ~77% |
फोर्टिफाइड थाने | 66 | 612 | 🔼 827% |
जहाँ कभी गोलियों की गूंज थी, वहाँ अब विकास की गूंज
सरकार के अनुसार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में नक्सल प्रभावित गांवों में अब सड़कों, स्कूलों और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हो रहा है।
ग्रामीण युवा अब हथियार नहीं, किताबें उठा रहे हैं।
“पहले इन क्षेत्रों में हिंसा और भय था, अब उम्मीद और विकास की कहानी लिखी जा रही है।”
रेड कॉरिडोर का सफर: 1967 से 2025 तक
- 1967: पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से आंदोलन की शुरुआत
- 1980-2000: झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा में चरम पर हिंसा
- 2004-14: माओवादी गठजोड़ और सुरक्षाबलों पर बड़े हमले
- 2014-2025: रणनीतिक ऑपरेशन, आत्मसमर्पण, विकास योजनाएं
- 2026 (लक्ष्य): रेड कॉरिडोर का अंत
अब आगे क्या?
गृह मंत्रालय का कहना है कि:
- आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास योजना से जोड़ा जा रहा है।
- शेष जिलों में “Clear-Hold-Develop” रणनीति के तहत अभियान जारी है।
- हर आत्मसमर्पण के साथ नक्सलियों की कमर और कमजोर हो रही है।