‘I Love Muhammad’ विवाद पर बोले मौलाना अरशद मदनी – मोहब्बत नारों से नहीं, सीरत से दिखाएं

देश के कई राज्यों में ‘I Love Muhammad’ लिखे पोस्टरों को लेकर मचे बवाल के बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि मोहब्बत का इज़हार बाजारों में पोस्टर लगाकर नहीं, बल्कि अपने चरित्र और आचरण से किया जाना चाहिए।
मौलाना मदनी ने यह बयान उत्तर प्रदेश के कानपुर में आयोजित ‘तहफ़्फ़ुज़-ए-ख़त्म-ए-नुबुव्वत कॉन्फ़्रेंस’ में दिया। उन्होंने कहा कि, “नबी से सच्ची मोहब्बत करनी है तो उनकी सीरत को अपनाना होगा, नारे लगाने से नहीं होगी। आज मुसलमानों को चाहिए कि वो अपने आचरण से दिखाएं कि उन्हें नबी से मोहब्बत है।”
‘नबी की सीरत में हर समस्या का हल’
मौलाना मदनी ने कहा कि आज देश जिस तरह की परिस्थितियों से गुजर रहा है, उसमें नबी करीम हज़रत मुहम्मद साहब की सीरत ही सबसे बड़ा समाधान है। उन्होंने कहा, “नफरत के बीज अब विशाल वृक्ष बन चुके हैं। आज चारों ओर संकीर्णता, धार्मिक पक्षपात और असहिष्णुता का माहौल बनता जा रहा है।”
उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे इस हालात में भी नबी की तालीम पर अमल करें, सब्र, सहनशीलता और मोहब्बत से जवाब दें। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को चाहिए कि वे नफरत का जवाब मोहब्बत से दें, यही नबी का तरीका था और अल्लाह का हुक्म भी।
‘हर बात को दिया जा रहा धार्मिक रंग’
मदनी ने कहा कि अब हर छोटी-बड़ी बात को धार्मिक रंग देकर एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कानून और न्याय व्यवस्था को दरकिनार कर एकतरफा कार्रवाइयाँ की जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति दर्शाती है कि अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों को सीमित करने की कोशिश की जा रही है।
‘हम सब एक ही सृष्टिकर्ता की मख़लूक़’
मौलाना मदनी ने कहा, “आज धर्म और संप्रदाय के नाम पर इंसान को इंसान से नफरत करना सिखाया जा रहा है, जबकि इस्लाम ने हर इंसान के साथ भलाई और न्याय का आदेश दिया है। हमारे नबी ने अपने दुश्मनों के साथ भी इंसाफ किया, उनके साथ भी भलाई की।”
उन्होंने कहा कि अगर आज मुसलमान अपनी ज़बान, व्यवहार और चरित्र से इस्लाम की सही तालीम को लोगों के सामने पेश करें, तो समाज में फैली नफरत की आग ठंडी हो सकती है।
दारुल उलूम देवबंद के कुलपति की अपील
वहीं, दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल क़ासिम नुमानी ने कहा कि आज घर-घर तक भटकाने वाले फितने पहुंच चुके हैं। इसलिए हर मदरसे में ‘मजलिस-ए-तहफ़्फ़ुज़-ए-ख़त्म-ए-नुबुव्वत’ बनाई जानी चाहिए, ताकि लोगों को सही जानकारी और जवाब मिल सके।
कॉन्फ़्रेंस में मौलाना सैयद बिलाल अब्दुल हई हसनी नदवी, मुफ्ती मोहम्मद सालेह हसनी सहारनपुरी, और अन्य धर्मगुरुओं ने भी इस्लाम की बुनियादी शिक्षाओं और ख़त्म-ए-नुबुव्वत के महत्व पर अपने विचार रखे।
क्या है ‘I Love Muhammad’ विवाद?
हाल के दिनों में देश के कई हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ‘I Love Muhammad’ लिखे पोस्टर, झंडे और टी-शर्ट के ज़रिए अपना प्रेम जताया। कुछ शहरों में इसे लेकर टकराव की स्थिति बन गई, जिसके चलते पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़पें भी हुईं। कई जगहों पर राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश भी की, जिससे विवाद और गहराया।