यूपी में 27 हजार सरकारी स्कूलों पर बंदी का खतरा, शिक्षकों और AAP ने किया आंदोलन का ऐलान

लखनऊ – उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राथमिक स्कूलों को बंद करने के फैसले को लेकर प्रदेशभर में विरोध तेज हो गया है। 27 हजार से अधिक स्कूलों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि सरकार ने फैसला लिया है कि जिन स्कूलों में 30 से कम छात्र हैं, उन्हें मर्ज किया जाएगा।
इस फैसले के खिलाफ अब उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ और आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है।
शिक्षक संघ का तीन चरणों में विरोध आंदोलन
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने राज्य के 822 ब्लॉकों में बैठकें कर यह फैसला लिया है कि स्कूल बंदी के खिलाफ जोरदार विरोध किया जाएगा। आंदोलन की रूपरेखा कुछ इस तरह है:
- 3-4 जुलाई – विधायक और सांसदों को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
- 6 जुलाई – सोशल मीडिया पर #SaveOurSchools जैसे हैशटैग से जनजागरूकता अभियान।
- 8 जुलाई – सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन।
शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) का उल्लंघन?
शिक्षक संघ ने आरोप लगाया कि स्कूल बंद करने का यह निर्णय RTE (Right to Education) कानून का सीधा उल्लंघन है।“इस कदम से न सिर्फ लाखों बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी, बल्कि हजारों शिक्षकों, शिक्षामित्रों और प्रधानाध्यापकों की नौकरियों पर संकट खड़ा हो जाएगा।”
AAP का हल्ला बोल, पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन
आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता वंशराज दुबे ने कहा:
“सरकार 27,000 सरकारी स्कूल बंद कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। हम पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे।”
- लखनऊ में दोपहर 2:30 बजे कैसरबाग में बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।
- AAP ने इसे शिक्षा बचाओ आंदोलन का नाम दिया है।
सरकार का पक्ष
सरकार का तर्क है कि छात्र संख्या कम होने के कारण संसाधनों का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा, इसलिए मर्जर से शिक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी।
हालांकि, इसका विपक्ष और शिक्षक संगठनों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है।
क्या है आगे की राह?
- यदि सरकार ने शिक्षकों और विपक्ष की आपत्तियों को नजरअंदाज किया तो मामला हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक भी जा सकता है।
- शिक्षा से जुड़ी संस्थाएं भी आने वाले दिनों में इस पर जनहित याचिकाएं दाखिल कर सकती हैं।
27 हजार स्कूलों की संभावित बंदी ने उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में हलचल मचा दी है।
जहां एक ओर सरकार संसाधनों का सही इस्तेमाल करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षक संगठन और राजनीतिक दल इसे बच्चों के शिक्षा अधिकार का हनन मान रहे हैं।