‘झाड़ू’ से ‘साइकिल’ की ओर… अवध ओझा की सियासी पारी का अगला पड़ाव क्यों अधर में?
नई दिल्ली/गोंडा:
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के टिकट पर पटपड़गंज से चुनाव लड़ चुके अवध ओझा इन दिनों उत्तर प्रदेश की सियासी फिजाओं में जगह बनाने को आतुर हैं। दिल्ली में शिकस्त खाने के बाद अब अवध ओझा समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होकर 2027 में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। वह अपने गृह जनपद गोंडा की तरबगंज सीट से चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर चुके हैं। हालांकि सपा में उनकी एंट्री अब तक अटकी हुई है।

अखिलेश यादव से मिल चुके हैं अवध ओझा
पिछले महीने अवध ओझा ने लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। सपा के एक करीबी नेता की पहल पर यह मुलाकात हुई थी। ओझा ने सपा में शामिल होने की इच्छा जताई और तरबगंज सीट से चुनाव लड़ने की बात रखी थी। अखिलेश ने उन्हें पार्टी में एंट्री के लिए हरी झंडी तो दी, लेकिन टिकट को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया।
पटपड़गंज में हार के बाद यूपी की राह
दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद अवध ओझा ने यूपी की राजनीति में सक्रियता बढ़ाई। वह पहले ही प्रयागराज, अमेठी और फैजाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांग चुके थे, लेकिन बात नहीं बनी। बसपा ने जरूर उन्हें फूलपुर से टिकट ऑफर किया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। दिसंबर 2024 में AAP में शामिल हुए और दिल्ली से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन असफल रहे। अब वह सपा के ‘लाल गमछे’ और ‘साइकिल’ के सहारे यूपी की राजनीति में अपनी नई पारी शुरू करना चाहते हैं।
तरबगंज सीट पर नजर
गोंडा जिले की तरबगंज विधानसभा सीट पर अवध ओझा की नजर है। यहां जातीय समीकरण उनके पक्ष में हैं। करीब 90 हजार ब्राह्मण, 60 हजार यादव, 45 हजार मुस्लिम, 50 हजार दलित और अन्य ओबीसी मतदाता इस सीट पर प्रभाव रखते हैं। 2012 में यह सीट अस्तित्व में आई थी और उस समय सपा के अवधेश कुमार सिंह विधायक बने थे। पिछले दो चुनावों से यहां बीजेपी का कब्जा है। ओझा मानते हैं कि सपा का ब्राह्मण चेहरा बनकर वे इस सीट को पार्टी की झोली में डाल सकते हैं।
आम आदमी पार्टी बनी रोड़ा?
सूत्रों के मुताबिक, सपा में अवध ओझा की एंट्री में एक बड़ी बाधा आम आदमी पार्टी बन रही है। दिल्ली में सपा और AAP के अच्छे संबंध हैं। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने अरविंद केजरीवाल के पक्ष में प्रचार किया था। ऐसे में AAP के एक वरिष्ठ नेता ने, जो यूपी से ताल्लुक रखते हैं और केजरीवाल के करीबी माने जाते हैं, अखिलेश यादव से आग्रह किया कि अवध ओझा को सपा में न लिया जाए।
सपा के भीतर भी विरोध
तरबगंज सीट पर ओझा की दावेदारी को लेकर सपा के भीतर भी कुछ नेता विरोध कर रहे हैं। पूर्व मंत्री विनोद कुमार उर्फ पंडित सिंह का परिवार इस क्षेत्र में सक्रिय रहा है। ऐसे में स्थानीय नेताओं को लगता है कि बाहर से आए किसी चेहरे को मौका देना उनके राजनीतिक हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।
अखिलेश यादव के फैसले पर टिकी निगाहें
अब सबकी निगाहें सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर टिकी हैं कि वे अवध ओझा को पार्टी में शामिल करते हैं या नहीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तरबगंज जैसे सीटों पर ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम वोटों को एक साथ साधने के लिए OBC-ब्राह्मण संतुलन ज़रूरी है, जो ओझा जैसे चेहरे से बन सकता है। लेकिन अगर AAP से रिश्ते बिगड़ते हैं तो यह गठबंधन की राजनीति को झटका दे सकता है।