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SAARC की जगह नया क्षेत्रीय ब्लॉक बनाना चाहते हैं पाकिस्तान और चीन, भारत को भी शामिल करने की चर्चा

भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच तनाव के बीच पाकिस्तान और चीन एक नया क्षेत्रीय संगठन बनाने की तैयारी में हैं। SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के निष्क्रिय होने के बाद अब पाकिस्तान और चीन मिलकर नया ब्लॉक बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं।

पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 19 जून को चीन के कुनमिंग शहर में पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश के बीच एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने और SAARC की जगह नया संगठन बनाने पर चर्चा की गई।

क्यों उठ रही है नए संगठन की जरूरत?

SAARC संगठन 2016 से निष्क्रिय बना हुआ है। आखिरी बार 2014 में काठमांडू में इसका शिखर सम्मेलन हुआ था। 2016 में पाकिस्तान के इस्लामाबाद में 19वां शिखर सम्मेलन होना था, लेकिन उड़ी आतंकी हमले के बाद भारत ने बहिष्कार कर दिया था। इसके बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान जैसे देशों ने भी दूरी बना ली।

कुनमिंग में क्या हुआ?

रिपोर्ट के मुताबिक:

  • 19 जून को हुई बैठक का मकसद SAARC के बचे हुए सदस्य देशों को एक नए क्षेत्रीय समूह में शामिल होने का न्योता देना था।
  • इससे पहले मई में भी चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) और अफगानिस्तान में सहयोग पर बैठक हुई थी।
  • पाकिस्तान और चीन का मानना है कि “एक नया संगठन वक्त की जरूरत है, जो संपर्क और विकास को बढ़ाए।”

बांग्लादेश ने गठबंधन की बात को किया खारिज

हालांकि बांग्लादेश ने इस गठबंधन की खबरों से इनकार किया है। ढाका के विदेश मामलों के सलाहकार एम. तौहीद हुसैन ने कहा कि यह बैठक राजनीतिक नहीं, बल्कि आधिकारिक थी। उन्होंने साफ कहा कि “हम किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बन रहे।”

क्या भारत को मिलेगा न्योता?

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत को भी नए संगठन में शामिल होने का न्योता दिया जाएगा। हालांकि नई दिल्ली की तरफ से इसमें शामिल होने की संभावना बेहद कम है। भारत पहले ही चीन और पाकिस्तान के मंसूबों को लेकर सतर्क है और क्षेत्रीय संतुलन में अपना अलग नजरिया रखता है।

SAARC के निष्क्रिय होने का फायदा उठाकर चीन और पाकिस्तान नए क्षेत्रीय समीकरण बनाने की कोशिश में हैं। हालांकि इसमें बांग्लादेश जैसे सदस्य देश फिलहाल साथ खड़े नहीं दिखते। आने वाले दिनों में इस पहल पर भारत की प्रतिक्रिया अहम होगी, क्योंकि भारत की अनुपस्थिति में कोई भी क्षेत्रीय समूह दक्षिण एशिया में प्रभावी नहीं हो सकता।

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