बिहार चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग विपक्ष के निशाने पर, तेजस्वी को आयोग ने दिया जवाब

पटना – बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव 2025 से पहले ही राजनीतिक पारा चढ़ चुका है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और INDIA गठबंधन में शामिल कई विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं, जिनमें मतदाता सूची की पारदर्शिता से लेकर आयोग की चुप्पी तक शामिल है।
‘मुख्य चुनाव आयुक्त मिस्टर इंडिया क्यों हैं?’
RJD नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा:”आयोग ने आज तक हमारे एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया। सिर्फ सूत्रों के हवाले से खबरें चलती हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सामने क्यों नहीं आते? क्यों मिस्टर इंडिया बने हुए हैं?”
तेजस्वी ने यह भी कहा कि बिहार का चुनाव प्रदेश की जनता और प्रधानमंत्री के बीच की लड़ाई है, और INDIA गठबंधन इसे किसी भी हाल में कमजोर नहीं होने देगा।
चुनाव आयोग ने क्या कहा? विपक्ष को दिया जवाब और दी सलाह
विवाद बढ़ने पर चुनाव आयोग ने भी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने सियासी दलों से कहा:”बेबुनियाद आरोपों से कुछ हासिल नहीं होगा। सभी दल हर मतदान केंद्र पर अपने BLA (Booth Level Agent) नियुक्त करें और मतदाता सूची को संविधान व कानून के अनुरूप पारदर्शी बनाने में सहयोग करें।“
चुनाव आयोग का ये बयान साफ संकेत है कि वह विपक्ष के आरोपों को खारिज कर जमीनी स्तर पर काम करने की सलाह दे रहा है।
बैठक भी टली, दलों ने नहीं दी उपस्थिति की पुष्टि
- विपक्षी दलों ने 30 जून को चुनाव आयोग को ईमेल भेजकर 2 जुलाई को तत्काल बैठक की मांग की थी।
- कांग्रेस ने दावा किया था कि वे INDIA गठबंधन की तरफ से बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
- लेकिन चुनाव आयोग को किसी भी दल की औपचारिक पुष्टि नहीं मिली, जिस कारण बैठक स्थगित कर दी गई।
मुख्य मुद्दे क्या हैं?
- मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण
- BLA की नियुक्ति में पारदर्शिता
- आयोग की “सूत्रों के हवाले” से सूचनाएं देना
- मुख्य चुनाव आयुक्त की निष्क्रियता का आरोप
चुनाव आयोग की रणनीति और विपक्ष की चुनौती
जहां चुनाव आयोग प्रक्रियागत पारदर्शिता और तकनीकी समाधान की बात कर रहा है, वहीं विपक्ष आयोग की सक्रियता और जवाबदेही पर सवाल उठा रहा है।
INDIA गठबंधन का मानना है कि बिहार चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हो सकता है और चुनाव आयोग को सजग भूमिका निभानी चाहिए।
बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है।
एक तरफ आयोग चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित रखने में लगा है, वहीं विपक्ष उसे “चुप्पी साधे रहने वाला संस्थान” कह रहा है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में आयोग जन संवाद और पारदर्शिता के मोर्चे पर क्या कदम उठाता है।